Cancer types, signs and symptoms – कैंसर के प्रकार तथा लक्षण



कैंसर (cancer) कई तरह का होता है और शरीर के विभिन्न हिस्सों में हो सकता है। इसके प्रकार, लक्षण तथा बचाव के उपाय हर तरह के प्रभावित टिश्यू (malignant tissue) तथा मेटास्टेसिस (metastasis) के लिए अलग अलग होते हैं। अगर कैंसर को पहले चरण में ही पकड़ लिया जाए तो फिर इसके ठीक होने की काफी ज़्यादा संभावना होती है। परन्तु चिकित्सा विज्ञान (medical science) आज भी कई प्रकार के कैंसर का इलाज नहीं ढूंढ पाया है।
यह शरीर की ऐसी स्थिति है जिसमें लोगों की सेल की बढ़त असामान्य होती है (abnormal cell growth) और यह आपके पूरे शरीर में भी फ़ैल सकता है। कई बार कुछ ट्यूमर्स (tumors) की वजह से भी कैंसर होता है। परन्तु हर ट्यूमर कैंसर का कारण नहीं बनता। कैंसर के कई लक्षण होते हैं, जैसे असामान्य रूप से खून निकलना, शरीर में कई जगह सूजन, अचानक वज़न का घटना, मलत्याग (bowel movement) सही तरह ना होना आदि।

कैंसर के प्रकार (Types of cancer / How many types of cancer are there in Hindi)

कार्सिनोमा (Carcinoma)

यह कैंसर त्वचा पर या उन टिश्यूस में होता है जो शरीर के आतंरिक भागों पर होते हैं, जैसे त्वचा, फेफड़े, कोलन (colon), पैंक्रिएटिक (pancreatic), गर्भाशय का कैंसर, एपिथेलियल (epithelial), स्क्वैमस (squamous) तथा बसल सेल कार्सिनोमास (basal cell carcinomas), मेलनोमास (melanomas), पपिलोमास (papillomas) तथा अडेनोमास (adenomas)।

सारकोमा (Sarcoma) 

इस कैंसर की शुरुआत हड्डियों, कार्टिलेज (cartilage), फैट (fat), मांसपेशियों, रक्त की धमनियों (blood vessels) या अन्य जोड़ने वाले या कनेक्टिव (connective) टिश्यू (tissue) में होती है। हड्डी तथा नरम टिश्यू के कैंसर, ओस्टियोसार्कोमा (osteosarcoma), साइनोवियल सार्कोमा (synovial sarcoma), लाइपोसार्कोमा (liposarcoma), एनजीओसार्कोमा (angiosarcoma), रैब्डोमायोसार्कोमा (rhabdomyosarcoma) और फाइब्रोसार्कोमा (fibrosarcoma)।

कैंसर के सामान्य प्रकार (Common types of cancer)

हड्डियों का कैंसर (Bone cancer)

हम सभी जानते हैं कि हमारे शरीर में 206 हड्डियां होती हैं जो कि हमारे अंदरूनी अंगों को सुरक्षित रखने में सहायक सिद्ध होती हैं। सीधा खड़ा रहने में हड्डियां ही सहायक होती हैं। एक बार कैंसर की कोशिकाएं हड्डियों पर हमला करती हैं तो सेल (cell) के प्रभावित (malignant) होने पर गंभीर समस्या उत्पन्न हो सकती है। जब इस प्रकार के कैंसर की बात हो तो ट्यूमर के फैलने का ख़तरा सिर्फ हड्डियों के अंदर ही बना रहता है। पर एक बार इसके बढ़ जाने के बाद यह काफी खतरनाक हो जाता है और साथ की हड्डियों को कमज़ोर कर देता है।

लक्षण (Cancer ki jankari hindi me)

दर्द (Pain)

शुरूआती चरणों में हड्डियों के कैंसर के लक्षण के रूप में आपको उस जगह दर्द और सूजन का सामना करना पड़ता है, जहां पर ट्यूमर स्थित है। 

जब आपका पैर कैंसर से प्रभावित होता है, तो हड्डियों में फ्रैक्चर आने से या टूट जाने से आपको लंगड़ेपन का सामना करना पड़ता है। इसे हड्डियों का कैंसर कहा जाता है।

स्तनों का कैंसर (Breast cancer)

लक्षण (Signs and symptoms)
यह भी कैंसर का एक काफी सामान्य प्रकार है। जैसे ही स्तनों के सामान्य तंतुओं (cells) में परिवर्तन आता है और उनकी बढ़त हद से ज़्यादा हो जाती है, तो इसका मतलब यह होता है कि यह भाग कैंसर से ग्रस्त हो गया है। अगर कैंसर का तंतु घातक (malignant) है तो यह अवश्य ही शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैलेगा। पर अगर यह ट्यूमर गंभीर नहीं है तो फिर यह नहीं फैलेगा।
आपके गर्भवती हुए बिना ही आपके एक स्तन से ही लाल रंग का द्रव्य निकलना। स्तनों में दर्द होना भी इस तरह के कैंसर की निशानी होती है। आपके निप्पल (nipple) अंदर की तरफ आ जाते हैं और इसमें थोड़ी सूजन भी आ जाती है। कई बार सूजे हुए स्तनों का लाल होना भी स्तनों के कैंसर की तरफ संकेत होता है।

कोलोरेक्टल कैंसर (Colorectal cancer)

जैसे ही मलाशय (rectum) के सामान्य तंतु (cells) परिवर्तित होने लगते हैं, वैसे ही कोलोरेक्टल कैंसर होने की संभावनाएं बढ़ने लगती हैं। इससे एक तरह का मास (mass) बनता है, जो कि ट्यूमर का भी आकार ले सकता है। अगर यह ट्यूमर घातक हुआ तो यह शरीर के बाकी हिस्सों में फ़ैल जाएगा और हर अंग को कैंसर के खतरे से भर देगा।

लक्षण (Cancer ke lakshan)

पेट की परेशानियां (Bowel problems)

अगर आप कोलोरेक्टल कैंसर से पीड़ित हो जाते हैं तो आपको हमेशा यह लगता रहता है कि आपका मलत्याग (bowel movement) अच्छे से नहीं हुआ है।

असामान्य मलत्याग (Abnormal stool)

कोलोरेक्टल कैंसर एक ऐसी बीमारी है, जब आपको कब्ज़ और दस्त जैसी समस्याएं हमेशा सताएंगी। आपका मलत्याग अन्य दिनों की तरह सामान्य नहीं होगा।

कई लोग अपना वज़न घटाना चाहते हैं, पर इसके लिए उन्हें काफी मेहनत करनी पड़ती है। पर जब कोई व्यक्ति कैंसर से पीड़ित होता है तो उसका वज़न बिना किसी कारण के अपने आप घटने लगता है।

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